Sunday, February 28, 2010

आई रे आई होली है आई--->>>संजय कुमार



आई रे आई होली है आई,
आई रे आई होली है आई
मन मैं उमंग लेके तरंग, अपनों के संग होली के रंग
होली के रंग जीवन के रंग, खेलें होली हम संग संग
खेलें होली हम सब ऐसे , न पड़े रंग मैं भंग
आई रे आई होली है आई .......

आया है दिन रंगने -रंगाने का, झूमने और गाने का
यह पर्व है रंगों का , खुशियों का उमंगों का
रूठों को मनाने का, दुश्मन को भी गले लगाने का
यह पर्व है भाईचारे का ना हिन्दू का ना मुस्लिम का
ना सिख का ना ईसाई का, यह पर्व है भाई-भाई का
आई रे आई होली है आई ..........


हरा रंग हरियाली का, पीला रंग खुशहाली का
काला रंग करता विरोध, लाल रंग देता उमंग
गुलाबी रंग बिखेरे गुलाबी छटा, और नीला आसमानी घटा
इन्द्रधनुष के रंग हैं सारे, किसी एक के नहीं हम सब के हैं प्यारे
क्योंकि हर रंग कुछ कहता है,

खाए होंगे तुमने पीजा और बर्गर और चाइनीज व्यंजन
खाके देखो माँ के हाँथ की गुजिया, याद आ जायेगा वो वचपन
आज भी दिल करता है , बही गुजियाँ खाने का, माँ का लाढ पाने का
अब आगये अंग्रेजी व्यंजन और छुटता जा रहा हमारा वचपन
आई रे आई होली है आई ................

Wishing you and your family a joyous and colourful Holi !

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