Monday, May 10, 2010

इस देश मैं एक गद्दार ढूँढने निकलो , कई मिल जायेंगे.....>>>> संजय कुमार


गद्दार एक ऐसा व्यक्ति एक ऐसा नाम जो किसी भी विकसित राष्ट्र को एक ही क्षण मैं तवाह करवा सकता है ! किसी भी राष्ट्र की नींव को अन्दर तक खोखला करने की क्षमता रखता है ! इतनी ताक़त होती है एक गद्दार मैं ! यह हमारे साथ रहकर हमारी जड़ें खोखली करता रहता है ! और हमे तब पता चलता है जब इसका बुरा परिणाम हमारे सामने आता हैं ! यह कब हमें मौत के मूंह मैं पहुंचा दे, कोई कुछ नहीं कह सकता ! यह हमारे लिए कब्र तैयार करता रहता है ! और हम विश्वास मैं अपनी जान इसके हवाले कर देते हैं ! और फिर यही आपका अपना आपकी पीठ मैं ऐसा खंजर घोंपता है ! जहाँ इन्सान को मिलती है सिर्फ मौत ! आप सभी ने एक पौराणिक कहावत तो जरूर सुनी होगी ! " घर का भेदी लंका ढाये " जहाँ विभीषण ने अपने घर के सारे राज खोलकर अपनी पूरी राक्षस जाति का सर्वनाश करवा दिया था ! पर उसने धर्म के लिए ऐसा किया था इसलिए हम विभीषण को गलत नहीं मानते !

लेकिन जैसे जैसे समय बदला इन गद्दारों ने सत्ता के मोह , पैसों के लालच मैं आकर अपने को दुश्मनों को बेच दिया और खोल दिए अपने सारे राज दुश्मनों पर ! अंग्रेजो ने जो हम पर इतने सालों तक राज किया उसमे देश के गद्दारों का पूरा पूरा योगदान था ! इन की गद्दारी ने इस देश को कितने गहरे जख्म दिए है ! जिन्हें हम आज भी याद करते हैं ! फिर चाहे गद्दारी के कारण टीपू-सुल्तान, झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई , भगत सिंह , या चंद्रशेखर आजाद, या तात्या टोपे इन सभी सूरमाओं को अपनों की गद्दारी की कीमत मैं अपनी जान से हाँथ धोना पड़ा ! वर्ना इन्हें कोई यूँ ही नहीं मार सकता था ! यह वह वीर थे जो इतिहास बदलने की क्षमता रखते थे !

आज देश मैं इतना भ्रष्टाचार बड गया हैं , सत्ता की लालच ! पैसों के लिए बिकता इन्सान आज देश से गद्दारी करने से भी नहीं चूकता ! लोगों ने अपनी जरूरतें इतनी बड़ा ली हैं ! की उन को पूरा करने केलिए देश के सर्वोच्य पदों पर बैठकर हमारे देश से ही गद्दारी कर रहे हैं ! और आज हमारे देश को गद्दारों की करनी का फल भुगतना पड़ रहा हैं ! हम हिन्दुस्तानी हमेशा से विश्वास करने बाले होते हैं ! और किसी पर सहसा विश्वास कर लेते हैं ! और हमारी इसी भावना को दुश्मन अपना हथियार बना लेते हैं ! ताजा उदहारण माधुरी गुप्ता जैसे लोग हैं ! जो इस देश के सर्वोच्य पदों पर बैठ कर अपने ही देश से गद्दारी कर रहे हैं ! गद्दारों की गद्दारी का परिणाम इस देश की अवाम को भुगतना पड़ रह हैं ! फिर चाहे मुंबई धमाके हो या संसद पर हमला , फिर चाहे नक्सलियों को हथियार मुहैया कराने बाले जिनके कारण कितने ही जवानों को इसकी कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ी !

आज किसी छोटे मोटे चोर को पकड़ कर पुलिस का सजा देने का अंदाज तो हम सभी ने कई बार देखा ! जब उनको बेरहमी से सजा दी जाती है ! या उनको इतना प्रताड़ित किया जाता है ! की वो अपना दम तक तोड़ देते हैं ! इनकी मजबूरी हो सकती है ! गरीबी , भूख, बेरोजगारी जिस कारण से ये लोग इस तरह के काम करते हैं ! इनको हम जीवन भर हेय की द्रष्टि से देखते हैं ! पर देश के सर्वोच्य पदों पर बैठे इन लोगों की क्या मजबूरी है जो अपने इमान के साथ साथ इस देश को भी बेच रहे हैं ! पर ऐसे लोगों के साथ हम या हमारी क्या कर रही है ! आज तक सरकार ने कितने गद्दारों को उनकी करनी की सजा दी है ! सरकार सिर्फ इन लोगों से अपने देश की जेलें भर सकती है और कुछ नहीं ! क्यों नहीं है देश के साथ गद्दारी की सजा मौत , जो पहले कभी हुआ करती थी ! एक गद्दर को सजा मिली तो दूसरा देश के साथ गद्दारी करने से पहले कई बार सोचे ! पर ऐसा नहीं होगा ! क्योंकि आज एक बड़ा वर्ग इस देश मैं हैं जो राजनीती मैं हैं ! एक बड़ा वर्ग इस देश के आला अधिकारीयों का है , जो पूरी तरह से भ्रष्टाचार मैं लिप्त है ! तो फिर कैसे पता चलेगा की कौन देश के साथ उसके हित की सोच रहा है और कौन गद्दारी कर रहा है !

एक दिन आएगा जब यह देश दुश्मनों के हाँथ मैं होगा और हम सब उनके इशारों पर नाचने बाले ! कारण देश के गद्दार जो पता नहीं कब इस देश को बेच दे ! आज इस देश मैं हम अगर एक गद्दार ढूँढने निकलेंगे तो हमें कई मिल जायेंगे ! अगर गद्दार नहीं हैं तो क्यों बढ़ रहीं हैं इस देश मैं यह दिन प्रतिदिन होती घटनाएं ! ......................

धन्यवाद

10 comments:

  1. ek ek akshar sahi kaha...par police bhi kya kare wo karna bhi chahe to ye upar baithe shrimaan gaddaar unhe kuch karne nahi dete...varna police me itni takat hai ki wo kisi bhi shehar ko sudhaar de...kash wo sansad me ghuse atankwaadi ekaad gaddaron ko uda hi dete kuch gandgi saaf hoti...

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  2. सच कहा है आपने .. देश का इतिहास भरा पड़ा है ऐसे गद्दारों से ... पर हमारा समाज इतना बिखरा हुवा है ... बँटा हुवा है की एक धारा में बांधना मुश्किल हो गया है .... पर आशा का दामन छोड़ने का मन नही करता ..

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  3. चौरसिया जी, वह दिन दूर नहीं जब देश इन गद्दारों के कारण ही बंट जायेगा या फिर गृहयुद्ध का शिकार हो जायेगा...

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  4. दीपक ने बताया था पर किसी कारण से आज तक नहीं आ सके ... या कहें कि टिप्पणी नहीं कर सके ...
    लेखनी में दम है.......बधाई.
    अब आना होता रहेगा.
    जय हिन्द, जय बुन्देलखण्ड

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  5. जयचंदों के बारे में बताती हुई ये पोस्ट दूर तक असर करती लगी.. लेखन तो आपका पहले भी अच्छा था लेकिन अब और निखर कर सामने आ रहा है. विषय भी कमाल के चुनते हैं.. बधाई संजय जी..

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  6. main aap sabhi ka tahe dil se dhnyvad karta hoon, ki aap sabhi mere lekhan ko sarah rahe hain

    punah dhnyvad

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  7. पर देश के सर्वोच्य पदों पर बैठे इन लोगों की क्या मजबूरी है जो अपने इमान के साथ साथ इस देश को भी बेच रहे हैं ?......

    All are greedy !

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  8. दैनिक जागरण प्रिंट मीडिया में आने के लिए बधाई

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  9. काश ऐसे गद्दारों को पहचाने का कोई तरीका या हूनर भगवान् हमें दे देता ? तो ये कभी सफल न हो पाते

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