Sunday, May 9, 2010

माँ तेरा कर्ज हैं मुझ पर....(Mother's-Day).....>>>> संजय कुमार

माँ शब्द एक अक्षर का बस छोटा सा नाम है ! पर इस नाम मैं है पूरा संसार और सब कुछ विद्यमान ! हर यौनी मैं, इन्सान, पशु-पक्षी इन सभी मैं माँ का स्थान सर्वोच्य है ! और तह जिंदगी जब तक इन्सान इस धरा पर है , सर्वोच्य और सबसे ऊंचा रहेगा ! माँ नाम की ताक़त का अंदाजा आप सिर्फ इस बात से लगा सकते हैं ! कि पूरे विश्व मैं आज तक जो भी इन्सान पैदा हुआ , उसके मुंह से सबसे पहले माँ शब्द ही निकला ! ना पापा और न पिता, निकला तो सिर्फ माँ ! जीवन के हर सुख -दुःख सहते हुए माँ अपने कर्तव्य पथ से कभी नहीं हटती ! सब कुछ सहते हुए अपने कर्तव्यों का पालन करती है ! बच्चे को अपनी कोख मैं नौ माह रखने के साथ ही उसकी जिम्मेदारियां शुरू हो जाती हैं ! जब तक बच्चा अपने परों पर सही तरह से खड़ा नहीं हो जाता ! बच्चों को सारे संस्कार अपनी माँ से ही मिलते हैं , क्योंकि एक बच्चा सबसे ज्यादा समय अपनी माँ के साथ गुजारता है ! जीवन के हर पथ पर उसको आगे बढ़ने कि प्रेरणा उसे अपनी माँ से ही मिलती है ! माँ कि ममता का कोई मोल नहीं है ! माँ कि ममता के लिए तो ईश्वर ने कई बार इस धरती पर इन्सान रूप मैं जन्म लिया ! मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम , भगवान् श्रीकृष्ण इसका उदहारण हैं ! कि कितना प्रेम था कौशल्या के राम और यशोदा के श्याम मैं ! सब कुछ माँ कि ममता के लिए ! अगर इन्सान जीवन भर माँ के चरणों को धोकर भी पिएगा तब भी हम उसकी ममता और प्यार , आशीर्वाद का कर्ज नहीं चुका सकते ! माँ हमेशा से वन्दनीय रही है ! माँ का कोई दिन नहीं होता ! उसका ध्यान तो हमें हर वक़्त रखना चाहिए ! शायद हम उसको एक पल के लिए भूल भी जाएँ पर माँ कभी अपनी संतान को नहीं भूलती ! फिर संतान अच्छी हो या बुरी वह हर हाल मैं उसे याद करती है , और उसके मुंह से बस एक ही बात निकलती है , जीते रहो मेरे बेटे ...........सदा खुश रहो .......

जैसे जैसे समय गुजर रहा है , पाश्चात्य संस्कृति हमारे ऊपर हाबी होती जा रही है ! जैसे जैसे हम आधुनिकता को अपनाते जा रहे है ! बैसे बैसे आज हम खोते जा रहे हैं अपनों का मान-सम्मान करने का भाव ! भूलते जा रहे हैं रिश्तों कि परिभाषा , फिर चाहे वो माँ-बेटे का रिश्ता हो या माँ-बेटी का सब कुछ धीरे धीरे बदल रहा है ! और इस बदलाव को हम सब ने पूरी तरह से महसूस किया है ! और महसूस कर रही है आज कि माँ ! माँ तो पहले भी बच्चों को प्रेम और स्नेह देती थी और आज भी उतना ही करती है ! और जो नहीं करती उनके अंदर शायद माँ कि ममता नहीं है ! क्योंकि कई घटनाएं आज हमारे सामने ऐसी आती हैं जो कहीं ना कहीं हमें माँ शब्द से दूर कर देती हैं ! पर यह तो अपवाद हैं जो होते रहते हैं कभी कभी ! आज सिर्फ पड़ा लिखा जाग्रत युवा ही जानता है कि Mother's-Day क्या होता है ! और यह दिन क्यों और किसको समर्पित होता है ! शायद एक वर्ग पड़ा लिखा और अनपढ़ वर्ग ऐसा भी है जिसे तो यह भी नहीं मालूम कि यह दिन आता कब है और क्या होता है इस दिन ! माँ को याद करलो और हो गया यह दिन पूरा ! हिंदुस्तान मैं एक बहुत बड़ा तबका ऐसा हैं जिसे अपनी माँ का जन्मदिन तक याद नहीं ! लेकिन इसके आलावा उसे सारे दिन याद हैं ! यह है अत्यधिक आधुनिकता का परिणाम ! जो इन्सान , इन्सान को भूलता जा रहा है ..................

आज माँ को जो सम्मान मिलना चाहिए क्या वो उसे आज मिल रहा है ! क्या हमें Mother's Day पर ही अपनी माँ को याद करना चाहिए ! क्या आज कि अतिआधुनिकता वादी युवा पीड़ी भी समझती है Mother's Day का मतलब! या कभी वह अपनी माँ के सम्मान मैं भी कुछ करती हैं ! माँ तो सिर्फ इतना चाहती हैं कि उसके बच्चे उसे कभी भूलें ना जब तक वह जीवित है ! बस थोडा सा सम्मान जो उसे मिलना चाहिए और जो उसका हक है ! इसके अलावा वह कभी भी कुछ नहीं चाहती ! और ना कभी चाहेगी ! लेकिन हम सभी को Mother's Day पर ही नहीं अपितु जीवन भर उसका सम्मान करना चाहिए वो अच्छी हो या बुरी पर माँ तो माँ होती है ! क्योंकि उसका एक ऐसा कर्ज है हम सब के उपर जो हम मरकर भी नहीं उतार सकते ! और वो है कि वह है हमारी जन्म दाता , जिसके कारण हम यह संसार देख पाए ! और देख पाए दुनिया भर की नेमतें जो उसने हजारों कष्ट सहकर हम सब को दी !

माँ तेरा सम्मान कभी इस दिल से कम नहीं होगा ...... तू हमेशा से मेरे लिए पूज्यनीय रही है , और जब तक जीवित हूँ तब रहेगी , मेरी सारी गलतियों को तू क्षमा कर ........... और बनाये रख अपना आशीर्वाद हम बच्चों पर ......

धन्यवाद

5 comments:

  1. संसार की समस्त माताओं को नमन

    ReplyDelete
  2. मेरी निंदिया है मां तेरे आंचल में,
    तू ही शीतल छाया दुख के इस जंगल में...

    जय हिंद...

    ReplyDelete
  3. बहुत अच्छा लिखा है आपने ....माँ का हम सब पर क़र्ज़ है ......माँ शब्द अपने आप में ममतामयी है .....दुनिया की हर माँ को मेरा शतशत नमन

    http://athaah.blogspot.com/

    ReplyDelete
  4. ''Meri dunia hai maa... tere aanchal me..'' aaj to dhaar aur tej dikh rahi hai Sanjay ji.. :)

    ReplyDelete
  5. मेरी सारी गलतियों को तू क्षमा कर ...........
    कहने की जरूरत ही नहीं माँ ने तो क्षमा कर भी दिया है

    ReplyDelete