Saturday, December 11, 2010

विक्षिप्त कौन ? ( हम या वो ) .... >>> संजय कुमार

जब एक विक्षिप्त , पागल और मंद-बुद्धि इंसान की बात चलती है तो हमारे मष्तिष्क में एक ऐसे इंसान की छवि आती है जिसके अन्दर एक सामान्य इंसान के कम बुद्धि एवं दिमाग होता है ! ऐसे इंसान को अपने अच्छे-बुरे , सही - गलत की कोई जानकारी नहीं होती ! ऐसा इंसान हमेशा अपने आप में गुम-सुम सा रहता है , दीन -दुनिया से बेखबर , ना दिन का पता और ना रात का , सर्दी-गर्मी और ना बरसात का ! घर -परिवार , समाज में घ्रणा का पात्र ! यह वास्तविकता है एक विक्षिप्त की ! और इससे भी ज्यादा कष्टमय जीवन होता है एक विक्षिप्त इंसान का ! ऐसे लोगों का ना तो घर होता है और ना परिवार , अगर होता भी है तो बहुत कम संख्या होती है ऐसे लोगों की जिन्हें अपनों का प्यार और साथ मिल पाता है ! बाकि लोग अपनी किश्मत के सहारे कष्टमय जीवन बिताते हैं !

ताजा घटना मेरे शहर शिवपुरी की है जो में आपको बताना चाहता हूँ , एक विक्षिप्त महिला जो कई दिनों से शहर में मारी-मारी फिर रही थी , उम्र होगी २५-३० साल , तन पर फटे-पुराने कपडे , अपने आप में खोई हुई , गुम-सुम , उसे देख लग रहा था जैसे उसने कई महीनों से नहाया तक नहीं , बेचारी बदनसीब दिमागदार इंसानों के बीच फंसी हुई , आज सुबह जब अखबार पढ़ा तो इंसानियत को शर्मसार करने बाला एक और अध्याय हम सब के सामने ! उस महिला का कुछ लोगों ने मिलकर बलात्कार कर डाला , सिर्फ यही नहीं लगातार कई दिनों तक उसका यौन शोषण करते रहे , और उसका यौन शोषण तब तक करते रहे जब तक की वो गर्भवती नहीं हो गयी ! ये थी सभ्य समाज के पुरुषों की काली करतूत , उस महिला को तो ये भी नहीं पता की उसके साथ क्या और क्यों हो रहा है ! इन्सान का एक और घिनौना रूप आज हम लोगों ने देख लिया ! ये बही समाज है जो अपने आपको सभ्य और पढ़ा-लिखा कहता है ! विक्षिप्त महिला ना तो विरोध कर पाती है और ना अपनी रक्षा ! उस विक्षिप्त महिला की बदनसीबी कहे , या उन दिमागदार लोगों की असलियत जो उन्होंने उस महिला के साथ इतना घिनौना और मानवता को शर्मसार करने बाला कार्य किया ! ऐसे कुंठित और दिमागदार इंसान को हम क्या कहते हैं ? सभ्य पुरुष या कुछ और , जिसके पास दिमाग नहीं उसे हम विक्षिप्त और पागल किन्तु जो दिमाग रखते हैं उन्हें हम क्या कहते हैं ?

यह घटना सिर्फ मेरे या आपके शहर की नहीं है, इस तरह इंसानियत और मानवता को शर्मसार करने बाली घटनाएं आज पूरे देश में हो रही हैं ! कभी पागलों के साथ जानवरों से भी वद्तर व्यवहार , मार-पीट और वह सब कुछ जिससे इन्सान के अन्दर की मानवता का दूर-दूर तक कोई लेना देना नहीं होता ! हमारा पढ़ा -लिखा और शिक्षित व्यक्ति ही आज ऐसी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं ! अपनी कामवासना को मिटाने के लिए इंसान जब ऐसे लोगों तक को नहीं छोड़ता तो कितने महफूज हैं आप और हम, और हमारा परिवार , इस तरह की घटनाओं को बही लोग अंजाम देते हैं जिनके अन्दर मानवता नाम की कोई चीज नहीं होती , इंसानियत का दूर-दूर तक कोई लेना-देना नहीं होता , ऐसे लोग होते हैं दिमाग से पूरी तरह विक्षिप्त प्राणी , असली विक्षिप्त और पागल ऐसे लोगों को कहना चाहिए ना की उनको जिनमें ना तो किसी बात की समझ हैं और ना दिमाग !

आप ही बताएं की विक्षिप्त कौन ?

धन्यवाद

8 comments:

  1. मार्मिक घटना ....और सच ऐसे इंसान ज्यादा विक्षिप्त हैं जो ऐसे कृत्य करते हैं ...

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  2. aisa kritya karne walo ko bich bazar me goli mar deni deni
    insaan ki khaal me chipe .....haiwan hai

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  3. मनोरोगी मनुष्य को प्यार सहानुभूति और सही इलाज की ज़रूरत होती है .
    समाज के वो लोग जो इन मनोरोगियों को समझते नहीं हैं,उपहास करते हैं वे ही विक्षिप्त हैं ..दुःख होता है ऐसी घटनाओं के बारे में सुन कर.
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    क्रिएटिव मंच आप को हमारे नए आयोजन
    'सी.एम.ऑडियो क्विज़' में भाग लेने के लिए
    आमंत्रित करता है.
    यह आयोजन कल रविवार, 12 दिसंबर, प्रातः 10 बजे से शुरू हो रहा है .
    आप का सहयोग हमारा उत्साह वर्धन करेगा.
    आभार

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  4. bilkul sahi kah aaapne....aaj logo me samvedna gayab ho rahi hai...ham to maansik rup se vikshipt hote jaa rahe hai...

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  5. vastav me vikshipt we log hai jinka insaniyat se koi rishta hai kintu swayam ko behtar insan samajhte hain..
    achchha,marmik lekh.

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  6. बहुत ही बढिया आव्हान.....शुक्रिया इसे हम तक पहुँचाने के लिए....

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  7. संजय जी क्या कहूँ!!!!!!जाने क्यों आज ऐसा लगता है की परिभाषाएं बदलने सी लगी हैं

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